भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री 9 दिसंबर को बांग्लादेश के दौरे पर जाएंगे। शुक्रवार को भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि विक्रम मिस्री इस दौरे में कई बैठकें करेंगे। विक्रम मिस्री ऐसे समय में ढाका जा रहे हैं, जब दोनों देशों के बीच तनाव है। शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद भारत ने बांग्लादेश में हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर कई बार चिंता जताई है।
दूसरी ओर, बांग्लादेश भारत की चिंताओं को खारिज करता रहा है। बांग्लादेश ने यहां तक कहा है कि भारत उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है। शेख हसीना 5 अगस्त को सत्ता छोड़ने के बाद से ही भारत में रह रही हैं और बांग्लादेश की कमान मोहम्मद यूनुस के हाथों में है। शुक्रवार को विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में रणधीर जायसवाल ने कहा, “9 दिसंबर को विदेश सचिव बांग्लादेश जाएंगे और अपने समकक्ष से मुलाकात करेंगे। इसके अलावा कई बैठकें भी होंगी।”
अभी पिछले हफ्ते ही त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में बांग्लादेश के उप उच्चायोग की इमारत में तोड़फोड़ की गई थी। इस पर बांग्लादेश ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी और भारत ने इस पर खेद जताया था। भारत ने इस मामले में सुरक्षा चूक के लिए कार्रवाई भी की, लेकिन बांग्लादेश ने अगरतला मिशन में वीजा सेवा रोक दी।
बांग्लादेश के अखबार ‘प्रथम अलो’ के मुताबिक, बांग्लादेश ने अपने कोलकाता के उप उच्चायुक्त शिकदर मोहम्मद अशरफुर रहमान और अगरतला के उप उच्चायुक्त आरिफुर रहमान को वापस लौटने का निर्देश दिया है। रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने विक्रम मिस्री के बांग्लादेश दौरे पर सवाल उठाए हैं।
उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट में लिखा, “बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों और अवामी लीग के सदस्यों पर हमले जारी हैं। मोहम्मद यूनुस शेख हसीना विरोधी पार्टियों और छात्र समूहों के साथ बैठकें कर रहे हैं और भारत का मुकाबला करने की रणनीतियों पर चर्चा कर रहे हैं। ऐसे में भारत अपने विदेश सचिव को ढाका क्यों भेज रहा है?”